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सुल्तानगंज में होटल व धर्मशाला की सुविधा (Hotel and Dharmshala In Sultanganj)

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भागलपुर जिले में अवस्थित सुल्तानगंज एक अनुमंडल है. हर वर्ष श्रावन मास में देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मन्दिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु सुल्तानगंज से गंगाजल ले जा कर चढाते हैं. सुल्तानगंज रेलवे स्टेशन पर पटना और भागलपुर की तरफ से आने वाली लगभग हर पैसेंजर व एक्सप्रेस ट्रेन रूकती है. सुल्तानगंज में गंगा नदी के तट पर भगवान शंकर का अजगैबीनाथ मंदिर है जो सुल्तानगंज रेलवे स्टेशन से करीब चार किलोमीटर दूर है. गंगा नदी के तट पर ही श्रद्धालु पहले गंगा नदी में स्नान करते हैं फिर अजगैबीनाथ मंदिर में पूजा करते हैं. उसके बाद श्रद्धालु कांवरिये गंगा नदी से गंगा जल लेकर अपने कांवर में बाँध कर पैदल ही देवघर के लिए निकल पड़ते हैं. अजगैबीनाथ मंदिर से बैद्यनाथ मंदिर देवघर की पैदल दुरी 96 किलोमीटर की है. श्रद्धालु कांवरिये पैदल चलते हुए व विश्राम करते हुए तीन से चार दिन में बैद्यनाथ मन्दिर पहुँच कर वहां भगवान भोले बाबा पर गंगा जल अर्पित करते हैं. कुछ कांवरिये सुल्तानगंज से गंगाजल उठा कर बिना कहीं रुके ही सीधे बैद्यनाथ धाम पहुँच जाते हैं. ऐसे कांवरिये को डाक बम कहा जाता है. डाक बम कांवरियों के लिए बैद्यनाथ धाम मन्दिर में विशेष सुविधा दी जाती है, उनके लिए अलग कतार की सुविधा रहती है, जिससे वो लोग जल्दी ही भगवान भोले बाबा के शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित कर देते हैं. डाक बम को सुल्तानगंज में ही एक कूपन दिया जाता है, जिसमें डाक बम का सुल्तानगंज से प्रस्थान करने की तारीख व समय अंकित होता है. 24 घंटे के अंदर इस कूपन को देवघर के वैद्यनाथ मंदिर में लाने पर ही इसके धारक को डाक बम की सुविधा मिलती है.

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सुल्तानगंज में आये श्रद्धालुओं के लिए सुल्तानगंज में कई सारे होटल और धर्मशाला हैं. सुल्तानगंज स्टेशन के बाहर ही कई सारे होटल हैं जहाँ श्रद्धालु विश्राम कर सकते हैं. इन होटलों में दो सौ से पांच सौ रूपये प्रतिदिन के हिसाब से कमरे मिल जाते हैं. वैसे सुल्तानगंज रेलवे स्टेशन पर भी श्रद्धालुओं के विश्राम करने के लिए टेंट लगाए जाते हैं जहाँ श्रद्धालु निःशुल्क विश्राम कर सकते हैं. सुल्तानगंज रेलवे स्टेशन पर कांवरियों के लिए यात्रा में ले जाने के लिए कांवर आदि खूब बिकते हैं. यहाँ पर सौ रूपये से दो सौ रूपये में कांवर मिल जाता है.

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सुल्तानगंज से आगे बढ़ने पर असरगंज मुख्य पडाव है, जहाँ श्रधालुओं के लिए कई सारे पंडाल लगाए जाते हैं. यहाँ उन्हें मुफ्त में रहने की सुविधा मिलती है. सुल्तानगंज से देवघर तक रास्ते भर में श्रधालुओं के लिए मुफ्त में जलपान और जल, शर्बत, लस्सी आदि की भी सुविधा कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा की जाती है. असरगंज में विश्राम कर के बाद श्रद्धालु तारापुर में विश्राम और खानपान करते हैं. एक बात का ध्यान रखें कि पुरे रास्ते चौबीसों घंटे कई सारे खाने के लिए रेस्टुरेंट मिलेंगे लेकिन उनमें मिलने वाले भोजन की क्वालिटी काफी खराब रहती है. इसलिए अच्छा रहेगा कि श्रद्धालु रास्ते में मिलने वाले फलों को ही मुख्य आहार बनाएं. कई श्रद्धालु अपने साथ वैन, या मिनी ट्रक, कार इत्यादि गाड़ी ले कर चलते हैं. और उन गाडी में खाने पीने की सामग्री अपने साथ लेकर चलते हैं. श्रद्धालु पैदल आगे आगे चलते हैं, पीछे पीछे उनका चालक उनके वाहन को चलाते हुए आता है. जहाँ श्रद्धालु रुकते हैं, वहीँ पर अपनी गाड़ी में उपलब्द्ध सामग्री से अपनी रूचि अनुसार भोजन तैयार करते हैं. सब्जी फल वगैरह रास्ते में भी मिलते रहते हैं.

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रास्ते में बड़े बड़े पंडालों में श्रद्धालुओं के लिए भक्ति गीत-संगीत का भी कार्यक्रम चलता रहता है. इस रास्ते में श्रद्धालु इस बात का ध्यान रखें कि पूरी पैदल यात्रा नंगे पाँव ही पूरी करनी पड़ती है. इसलिए श्रद्धालुओं के पांवों में छाले पड़ जाते हैं. जिसके लिए रास्ते भर में दवा इत्यादि का भी इंतजाम रहता है. रास्ते में पड़ने वाले सरकारी भवन जैसे स्कुल, कॉलेज आदि में भी श्रद्धालुओं को रुकने का निःशुल्क इंतजाम किया जाता है. किसी किसी पंडाल में कुछ आयोजक श्रद्धालुओं के लिए भोजन की भी निःशुल्क व्यवस्था करते हैं. रास्ते में विश्राम करने के लिए कोई होटल नहीं मिलेगा. विश्राम सिर्फ सार्वजनिक पंडाल या रास्ते में किसी सरकारी भवन (जहाँ सरकार की तरफ से रुकने के लिए इंतजाम किया गया हो) में ही किया जा सकता है.

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पहनावा – लगभग सौ किलोमीटर पैदल चलने के लिहाज से काफी हल्के वस्त्र ही पहने. पुरुष कांवरिये को गेरुआ रंग का बनियान या टीशर्ट व हाफ पैंट पहनना चाहिए, कई पुरुष गेरुआ रंग का कुरता पायजमा भी पहनते हैं, महिलायें भगवा रंग की साड़ी या सलवार सूट पहनें. अपने साथ अपना पहचान पत्र अवश्य रखें.

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असुविधा – सुल्तानगंज में गंगा नदी के तट पर काफी कीचड़ रहता है, गंगा नदी का स्नान करने वाला घाट भी असुरक्षित रहता है. सावधानी से नहाने की आवश्यकता है. नहाते समय अपने सामान आदि अपने किसी परिचित के पास ही रखें. सामान चोरी की घटना सामने आती रहती है. सड़क किनारे अस्थाई होटलों में खाना खाने से परहेज करें, क्योंकि यहाँ बासी खाना भी खिला दिया जाता है. सुल्तानगंज से देवघर के पैदल यात्रा के दौरान रास्ते में कई जगह शौचालय, स्नान करने की भी सुविधा है. लेकिन अत्यधिक भीड़ की वजह से शौचालय में गंदगी काफी रहती है. प्रशासन को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. सुलभ शौचालय में साफ़ सफाई की पर्याप्त पर्याप्त व्यवस्था नहीं रहने के कारण श्रद्धालु सड़क किनारे खेतों में ही शौच करने को बाध्य हो जाते हैं.

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